मुलाकात - Mulaqat

Date 20 may 2022

आज दिन बेहद garam मिज़ाज़ था। जादातर मैं मॉर्निंग walk  के लिए सुबह पार्क 6-7  बजे के बीच जाया करता हु, पर शायद कुछ अनूठा होना था आज शायद भगवन ने इस बात की तैयारी एक रात पहले से करदी थी।  शायद ये मुलाक़ात तेह थी ,मैं अक्सर अपनी daily वाली 30 - 45 min वाली की walk करके max 8 बजे तक घर पहुंच जाता हु।


पर आज करीब २ घंटो से मेरी बात कॉल पर मेरी बड़ी बहिन ( जो की मुझसे काफी बड़ी हैं ) से होती रही उनका कॉल भी 1 हफ्ता बाद आया था, तो  उनके साथ काफी लम्बे तक कॉल पर बात होती रही, खूब हसी मज़ाक चलता रहा और सीरियस मुद्दों पर भी बाते की, उस बात की बात किसी और दिन बताऊंगा, आज का विषय थोड़ा ज़्यादा खास हैं, सॉरी दीदी hahahaha। 

मैं उस 2-3 घंटा लम्बी इंटरस्टिंग बात चीत को ख़तम करके करीब 11:30 बजे पार्क के गेट से बहार निकल ही रहा था, के सामने से मुझे एक शख्स दिखाई दिए।  


जिनकी उम्र थी करीब 50 साल,  चेहरे पर बेहद हलकी shave, बदन पर ब्लू कलर की polo t shirt और स्याह काले रंग का jogger पहने वो शख्स कुछ जाना पहचाना सा लग रहा था, यु तो मैं अक्सर किसी यु आँख भर कर देखता नहीं पर आज नज़र मानो जैसे ठहर सी गयी हो। धुंधला सा वो चेहरा धीरे धीरे यकीन मैं बदल गया। 

मैं अपनी बाइक के पास जाता जाता रुका और फैसला किया, की मैं जाकर इनसे बात करूंगा और इसी इरादे से मैं उनके पास पहोचा। 

Must Read Books to Maximize your Wealth/Money and Transform your life.

वो अपने साथ खड़े 2 लोगो से बात करने मैं मसरूफ थे, मैं फिर भी बदतमीज़ी की हर इन्तहा पार करते हुए (क्यों की मैं हु ही बेहद बद्तमीज़ ) उनके उन करीब गया और उन सभी को interrupt किया। 


मैंने जाकर उनके पैर छुए, वो अचानक महसूस हुए उस स्पर्श से सेहम गए (जैसा की अक्सर होता हैं)। 


To Ask any questions Follow me on Instagram at @asakshay.a (click here)


मैंने उनसे पूछा पहचाना ? उन्होने कहा: अरे हाँ भाई क्यों नहीं, पर हाँ जो लड़का बचपन में इतना दुबला पतला हो और कोने मैं चुपचाप खड़ा हो जाता हो अगर वो अचानक से इतना लम्बा चौड़ा शरीर लेकर सामने आजाये तो पहचानने मैं दिक्कत तो होगी ही न।


दरअसल वो मेरे क्रिकेट कोच थे श्री रमेश सूद जी ( प्रसिद्ध रणजी ट्रॉफी प्लेयर, फिलहाल SBI में मैनेजर ) , और मैं उनसे करीब 14 साल के बाद मिल रहा था, मैं जब 10  या 11 साल का था तब उनके पास क्रिकेट की कोचिंग लेने के लिए जाया करता था। तब मैं बिलकुल ही अलग इंसान हुआ करता था (मासूम और प्यारा कहना गलत नहीं होगा) खैर वो और बात हैं Lol


Check My Fitness blog (click here)


गुरु जी ने मुझे देख कर कहा के मुझे तो बड़ा गर्व हो रहा हैं तुम्हे देख कर, क्यों की मैं उन्हे देखते ही उनके पेरो मैं अपनी जगह तलाशने लगा था, क्यों की जब मैं क्रिकेट सीखने जाया करता था तो वही मेरे सब कुछ हुआ करते थे वो ना सिर्फ हमे क्रिकेट की कोचिंग दिया करते थे बल्कि जीवन की अच्छी बुरी बाते समझाना भी अपना कर्त्तव्य समझते थे (जिसकी क्लास प्रैक्टिस ख़तम होने के बाद शाम को लगा करती थी)। 


मैंने गुरु जी को अपनी कुछ उप्लभ्धियों  के बारे मैं बताया तो वह उन्हे सुनकर बोहत खुश हुए एक दम से भावुक हो उठे और उनकी आँखों आंसू आगये।  और कहने लगे की दुनिया मैं मुझसे बड़ा करोड़पति ही कोई नहीं, जिस गुरु के पास तुम जैसे बच्चे हो उसे और क्या चाहिए जीवन में। 

बेटा मैं जब भी कोशिश करता हु के अबसे बेईमानी शुरू करूंगा  पता नहीं भगवान कहा से तुम जैसे बच्चो को भेज देता हैं मेरा हाथ पकड़ने के लिए,  के नहीं रमेश तू बहुत लोगो की उम्मीद हैं चाहे ये साड़ी दुनिया बेईमान हो जाये पर तूम सचाई-ईमानदारी का साथ मत छोड़ना।  (माहौल बेहद भावुक हो चूका था) 


उन्होंने मेरा उदाहरण देते हुए कहा की कुछ स्टूडेंट ऐसे होते हैं जो गुरु को द्रोण की तरह पूजते हैं और कुछ नज़र मिलाने से भी डरते क्यों की वो भाग गए थे गुरु से बेईमानी कर कर, अरे पेसो का भी कोई लोभ नहीं हमे। 

पर आकर एक बार बात तो करो, तुम मुझे कह रहे हो गुरूजी फीस के पैसे नहीं हैं और खुद दोस्तों के साथ मनाली मौज मस्ती कर रहे हो ।  मेरा दिल किसीके खुश रहने से नहीं दुखत। 


बल्कि जब लोग whatsapp करते हैं की वो तो गोवा घूम रहा हैं पर आकर कहता हैं फीस के पैसे नहीं हैं ऊपर से नज़र भी नहीं मिलाते दिल लगाकर मेहनत नहीं करते और बहार जाकर मेरे ही बारे में बुरा भला कहते हैं .

तब महसूस होता हैं सिर्फ और सिर्फ दुःख।  नहीं फीस दे सकते कोई बात नहीं हम बैठे हैं तुम्हारे लिये  लेकिन कम से काम ईमानदारी तो रखो। ( माहौल बेहद गंभीर होगया था। ऐसा महसूस हो रहा था जैसे पत्तो ने हिलना बंद करदिया हो, ऊपर से सूरज चाचू स्ट्रॉ लगाकर सर से ग्लूकोस whole सेल रेट पर पी रहे थे )


लगे हाथ थोड़ा सा ज्ञान हमने भी पेल दिया, सर के साथ खड़े हुए सर के २ स्टूडेंट्स पुराने को कुछ खट्ठे मीठे किस्से सुनने दिए अपने समय के तो यू माहौल थोड़ा Light  हुआ। 


अचानक मैंने महसूस किया की बातचीत बोहोत सूखी सूखी जा रही हैं, तो मैंने सोचा तुरंत कही से कुछ नाश्ते का प्रभंध किया जाए।  

मैंने सर से पूछा सर आप thumps up लेंगे या pepsi  (क्यों की मुझे याद था की गुरु जी cold drink के बोहोत शौक़ीन हैं)। 


पर गुरु जी ने formality निभाते हुए मना कर दिया, (जैसा की हर कोई कर देता हैं)।  पर हम आज ये मौका जाने कैसे देते क्यों की हर बच्चे की ख्वाहिश होती हैं की वो अपने गुरु जी के लिए cold drink  लेकर आये। 

फिर क्या था मैंने आओ देखा न ताओ लपक कर अपनी बाइक पर कूदा चाबी लगायी और अचानक याद आया ,अरे दूकान तो महज कुछ कदम की दूरी पर हैं , तो तुरंत चाबी जेब मैं राखी और दौड़ता हुआ दूकान पर पंहुचा एक बड़ा वाला thumps up लिया और फटाफट दौड़ता हुआ वापस आ गया। 


बच्चो को मैंने काम दिया डिस्ट्रीब्यूशन का और फिर दुबारा शुरू हुआ gupshup का सील सिला।  और यूँही हसते मुस्कुराते हुए मेरे उस गेट से बहार निकलने से अब तक १ घंटा बीत चूका था।  बहुत सी यादे ताज़ा हुई ,गुरु जी की आँखों मैं आंसू आगये, मैं भी भावुक हुआ , हसी मज़ाक में ये खुश नुमा समय गुज़र गया और वक़्त आया विदाई का। 


मैंने गुरु जी से इज़ाज़त ली (हाँ भाई अब और कितनी बाते करते तो हम तो हमने to be continue  रहने दिया मामले को)  गुरु जी के पैर छुए और अपनी बाइक सवार होता हुआ चिलचिलाती हुई धुप को चीरता हुआ ( और झुलसता हुआ भी ) 

मैं 10  मिनट बाद घर पंहुचा और सारा किस्सा अपनी माता जी को बताया और समझाया किस तरह मेरी आज 30 मिनट की वाक 4 घंटे मैं कहा गुज़री। 


Ask me questions and Follow me on Instagram at Akshay Singh (click here)


Must Read Books to Maximize your Wealth/Money and Transform your life.

Comments